हें पद्माश्री माँ,
प्रज्ञान की ज्योत जले,
हें वीणाधारिणी माँ,
तेरे गीत की रचना करूं।
बिखरे हुए वर्णों से,
वर्णमाला बनाऊ रे,
संगीत सरगम से,
किस थाट मे गाऊ रेे।
ये स्वर व्यंजन से,
तेरे गीत गुंजन कर दूं,
ये स्वर सुरीला हो,
हे सुरवंदिता माँ।
- फोरम शाह
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