ऐ इन्सान !
ऐ इन्सान !
तू तो है इस जग की एक शान ,
फिर भी क्यों रहता है परेशान ?
प्रकृति से मिलता है तुझको कितना ज्ञान ,
फिर भी तू क्यों रहा अज्ञान ?
अहं को छोड़ दे,मिलेगा तुझे मान
फिर देखना चेहरे पे बनी रहेगी मुस्कान।
व्यर्थ की बातें करना छोड़ दे,बनजा बुद्धिमान
फिर बनी रहगी इस जग में तेरी अच्छी पहचान।
जीवन की इस जंग मे कर दे सबका कल्याण,
फिर जग बन जाएगा तेरा एक खानदान।
~ फोरम शाह