बुज़ुर्ग शायरी
किसी घर मे 'बुज़ुर्ग' की इज़्जत है
तो किसी घर मे सिर्फ देनेवाले दाता 'भगवान' की।
भगवान के पीछे दौड़ते हो
घर मे बैठे भगवान को अनदेखा करते हो।
भगवान बोलते नही इसलिए अच्छे लगते है
बाकी बुज़ुर्ग का बोलना तो कानो मे खटकता है।
घर मे भगवान का कमरा है
पर बुज़ुर्ग को रखने तक की जगह नही !
~ फोरम शाह